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अध्या
( १३ ) प्रधान विषय
पृष्टांक ही जल से निकलना चाहिये । बिना तर्पण किये वस्त्र निष्पीड़न करने से देवता, ऋषि और पितर शाप देते हुए निराश होकर लौट जाते हैं । अतर्पयित्वा तान्पूर्व स्नानवस्त्रन्नपीड़येत् । पीड़येद्यदितन्मोहाद्द वाः सर्षिगणास्तथा ॥ पितरश्च निराशास्तं शप्त्वा यान्तियथागमम् ॥६६॥ ( २०-७२) विभिन्न प्रकार के पुष्पों द्वारा पूजा करने के माहात्म्य पर प्रश्न १ (७३)। चढ़ाने योग्य पुष्पों का वर्णन और वर्जित पुष्पों का निषेध (७४-८३)।
युधिष्ठिर का देवताओं की पूजन की विधि का . प्रश्न (८४-८५)। मोतियों के पूजन का विधान (८६-६१)। विष्णु के भक्तों के लक्षण पर युधिष्ठिर का प्रश्न (१२)। भगवान् के भक्तों के
लक्षण (६३–११८)। ६ कपिलादानप्रशंसावर्णनम्
कपिलाह्यग्निहोत्रार्थे विप्रार्थे च स्वयम्भुवा । सर्वतेजः समुद्धत्यः निर्मिता ब्रह्मणापुरा ॥२३॥