SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय पृष्टांक ( ११ ) प्रधान विषय करते हैं (५६-६१)। अनेक प्रकार के दान और वृक्षादि लगाने और जिन श्रेष्ठ कर्मों से मनुष्य स्वर्ग को जाता है उनका विस्तारपूर्वक वर्णन । ६ सर्वदानफलवर्णनम् १९५८ सम्पूर्ण प्रकार के दानों का फल और कैसे ब्राह्मण को दान देना चाहिये । दानपात्र ब्राह्मण के लक्षण तथा तपस्या का फल (१-४)। ऐसे ब्राह्मणों के लक्षण जिन्हें दान देने से मनुष्य दुःखों से छूट जाता है। यथाके शान्तदान्ताश्च तथाभिपूर्ण ___ जितेन्द्रियाः प्राणिवधेनिवृत्ताः । प्रतिग्रहे सङ्कुचिता गृहस्था ___ स्ते ब्राह्मणास्तारयितुं समर्थाः ॥१७६॥ सत्पात्र और पूज्य ब्राह्मण के शुभलक्षणब्राह्मणो यस्तु मद्भत्तो मद्याजीमत्परायणः । मयि सन्यस्त कर्मा च स विप्रस्तारयिष्यति १८१ ७ वृषदालमहत्त्ववर्णनम् १९७५ वैशम्पायन ने पूछा कि दान धर्म को सुनने पर
SR No.032670
Book TitleSmruti Sandarbh Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages720
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy