SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ ८] प्रधानविषय . प्रजापति, साम, रुद्रादि देवत तर्पण विस्तार से निरूपण किया है (१-२१२)। ६०२ पञ्चमहायज्ञविधिवर्णनम्- १८२७ - आश्रमधर्मनिरूपण वर्णनम्- १८२६ पांच यहायज्ञों की विधि (१-४४)। अ०२ शालीनयायावराणामात्मयाजिनां प्राणाहुति न्याख्यानम्- १८३० शालीन ययावरों को प्राणाहुति की विधि तथा मन्त्रों का निरूपण (१-३०)। . . ८५०२ श्राद्घाङ्गामौकरणादिविधिनिरूपणम् १८३३ त्रिमधु, त्रिणाचिकेत, त्रिसुपर्ण, पञ्चामि, षडङ्गवित् ज्येष्ठ सामक, स्नातक ये पक्ति पावन बताये हैं। इनके द्वारा श्राद्ध में अग्नि कार्य के विधान का निरूपण किया है (१-३१)। १०२ सत्पुत्रप्रशंसावर्णनम् । १८३६ सत्पुत्र का वर्णन किया है “पुत्रेण लोकाञ्जयति" माजी सन्तान से पिता स्वर्गादि लोक में विजयी
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy