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[ ७८ ] अध्याय
प्रधानविषय १६ पत्नीकुमारोपवेशनप्रकरणवर्णनम् . १७३७
धर्म कार्यों में पत्नी को वाम भाग में, आशीर्वाद के समय दक्षिण भाग में बैठाने का विधान है। पुत्रोत्पत्ति से मौञ्जीबन्धन कर्म तक कर्ता उत्तर में
एवं पत्नी पुत्र के दक्षिण में बैठे (१-६ )। १७ अधिकारिनियमप्रकरणवर्णनम्
१७३७ इस अध्याय में पुत्र के संस्कार करने में किस किस का अधिकार कब कब है इसकी विवेचना की
गई है (१-५)। १८ नान्दीश्राद्धेपितृप्रकरणवर्णनम् । १७३८
आधान काल, सीमन्त, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म, उपनयन, महाव्रत, गोदान, संस्कार समावर्तन और विवाहादि सम्पूर्ण मंगल कार्यों में नान्दी श्राद्ध करने का नियम
बताया है (१-६)। १६ विवाहहोमेपरिवयंप्रकरणवर्णनम् । १७३६
किसी शुभ कार्य में नान्दी श्राद्ध होने के अनन्तर जबतक मण्डप का विसर्जन न हो तबतक सपि