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[ ७६ ] अन्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क ८. अन्नप्राशनप्रकरणवर्णनम्- १७१५
छठे महीने में अन्नप्राशन की व्यवस्था बताई है
(१-५)। ६ चौल(चूड़ाकरण )कर्मप्रकरणवर्णनम् । १७१५
चूडाकर्म संस्कार तृतीय वर्ष में करने का विधान । चुडाकर्म से विवाह पर्यन्त लौकिकाग्नि में हवन
करने का विधान बताया है (१-२२)। १० उपनयनप्रकरणवर्णनम् ।
१७१८ उपनयन संस्कार की विधि । ब्राह्मण कुमार का अष्टम वर्ष में उपनयन संस्कार, मौजी कर्म, मेखला धारण, गायत्री उपदेश की विधि, स्विष्ट कृत, होमादि, उपनयन संस्कार की पूर्ण विधि बताई है
(१-६१)। ११ महानाम्न्यादिव्रतत्रयप्रकरणम् १७२४
उपनयन संस्कार के अनन्तर एक वर्ष होने पर उत्तरायण में महानाम्नी व्रत का विधान । द्वितीय वर्ष में महाव्रत, तृतीय वर्ष में उपनिषद् व्रत ये तीन व्रत ब्रह्मचारी को उपनयन संस्कार के अनन्तर तीन वर्ष के भीतर करने चाहिये (१-८)।