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श्राद्ध
[ २ ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठा श्राद्ध के मन्त्र सम्पूर्ण कहे हैं। इस स्मृति के अध्ययन से श्राद्ध कर्म की आवश्यकता तथा सम्पूर्ण विधि मालूम हो जायगी। श्राद्ध के नियम, श्राद्ध काल, आभ्युदयिक श्राद्ध का माहात्म्य, श्राद्ध की सामग्री, श्राद्ध में पुण्य पाठ, श्राद्ध करने से पितरों की तृप्ति एवं श्राद्धकर्ता दीर्घायु, पुत्रवान्, धनवान, ऐश्वर्यवान् होता है ( १-१६८ )।
लघ्वाश्वलायन स्मृति के प्रधान विषय
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आचारप्रकरणवर्णनम्।
१६८३ ब्रह्मचारिगृहस्थधर्मवर्णनम् । . १६८५ स्नानवस्त्राचमनपूर्वकसन्ध्योपासनविधिवर्णनम् १६८७ गायत्रीमन्त्रजपपूर्वकमातोमविधिवर्णनम् १६८६ मध्याहस्नानादिविधिपूर्वकब्रह्मयज्ञः मध्याहस्नान विधानवर्णनम् .
१६६१ ऋणत्रयविमुक्त्यर्थदेवर्षिपितृतर्पणम् १६६३ सवैश्वदेवभूतबल्यतिथिभिक्षादानानांवर्णनम् । १६६५ परान्नत्यागिनामामान्नदानं, भोजनविध्युच्छिष्टादिसंस्पर्शवर्णनम्।
१६६७