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अध्याय
७०
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प्रधानविषय
देवल स्मृति के प्रधान विषय
१६५५
प्रायश्चित्तवणनम् - बलान्म्लेच्छैतानां स्त्रीणांविषयेप्रायश्चित्तम् १६५६ म्लेच्छसम्बन्धिप्रायश्चित्तवर्णनम् - सांतपनादिकृच्छ्रचान्द्रायणान्त विधिवर्णनम् - १६६३
१६६१
समुद्र तट पर ध्यानावस्थित देवल से ऋषियों ने पूछा कि महाराज ! म्लेच्छों के साथ जिनका सम्पर्क हो गया है अर्थात् जो पुरुष बलात् या स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर चुका है उसको क्या करना चाहिये जिससे वह पुनः अपनी जाति में पावन हो जाय । इसके उत्तर में ऋषि देवल ने उन सबका प्रायश्चित्त विभिन्न प्रकार से बताया । प्रारम्भ में अपेय पान अभक्ष्य भक्षण से सब प्रकार के सांसर्गादि पातित्य कर्मों में पृथक्पृथक् प्रायश्चित्त कर सबकी शुद्धि बताई है। प्रायचित्तों के करने पर अन्त में गङ्गा स्नान से शुद्धि बताई है । इस स्मृति में जाति शुद्धि, देह शुद्धि और समाज शुद्धि पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है (१-६० ) ।
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