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________________ [ ६८ ] अध्याय प्रधानविषय पृष्ठाङ्क २ पत्युः पूर्व समुत्थाय देहशुद्धिं विधाय च । उत्थाप्य शयनाधानि कृत्वा वेश्मविशोधनम् ॥ पति के जागने से प्रथम शयन से उठकर घर की शुद्धि, वस्त्रादिकों को यथा स्थान में रक्खे (१६-४१) पुरुष का कर्तव्य स्त्री के प्रति "गच्छेद्युम्मासुरात्रिषु" इत्यादि । यह भारतीय संस्कृति का नियम प्रत्येक गृहस्थी को आदरणीय एवं आचरणीय है (४२-५७) । सस्नानादिविधिपूर्वाह्नकत्यवर्णनम् १६४१ तर्पणविधिवर्णनम् १६४३ पाकयज्ञादिविधिनिरूपणम् १६५५ गृहस्थासिकवर्णनम् १६४७ गृहस्थी के नित्य नैमित्तिक काम्य कर्मों का निर्देश तथा उषाकाल में जागकर कर्म में प्रवृत्त होने की विधि। सन्ध्या कर्म, पितृ तर्पण वेदाध्ययन, धमशास्त्र इतिहास को प्रातःकाल पढ़ने का विधान (१-२०)। पाकयज्ञ विधान, दान का माहात्म्य, गुणवान् को श्राद्ध में भोजन कराना वेदादि शास्त्र के ज्ञाता को ही ब्राह्मणत्व में. हेतु बताया है।
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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