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________________ अध्याय पृष्ठाङ्क [ ५४ ] प्रधानविषय सन्यसेत्सर्वकर्माणि वेदमेकं न संन्यसेत् । एकाक्षरं परं ब्रह्म प्राणायामः परन्तपः॥ भिक्षा लेने में हर्ष विषाद त्याग दे ( १-२४ ) । ११ वैश्वदेवातिथिश्राद्धादीनांवर्णनम् । १४६२ श्राइभोजनसमयेभोकयन्नगुणत्याज्यवर्णनम् १४६५ प्रथम अध्ये अर्थात् पूजा के योग्य ऋत्विग, कन्या का दान लेनेवाला वर, राजा, स्नातक, गुरु आदि तथा श्राद्ध विधि का वर्णन और ब्रह्मचारी के . नियम बताये हैं (१-५६ )। १२ स्नातकवतं, वस्त्रादिधारणविधिवर्णनम् । १४६७ स्नातकाचारवर्णनम् । १४६६ स्नातक के व्रत एवं आचार का वर्णन किया है (१-४५)। १३ उपाकर्मविधिवेदाध्ययनस्यानध्यायनिरूपणम् १५०० उपाध्यायाचार्यादीनांगुरुत्वमितिनिरूपणम् । १५०१ उपाकर्म की आवश्यकता तथा विधान। ऋत्विग् आचार्य के आतिथ्य करने के लिये घर पर पधारने पर सत्कार करने की आवश्यकता बताई है।
SR No.032669
Book TitleSmruti Sandarbh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages744
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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