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[ ६७ ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क । गृहस्थी भोजन करे। भोजन से पूर्व अन्न को हाथ
जोड़े और पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके पहले "प्राणाय स्वाहा” इत्यादि मंत्रों से पांच आहुति देवे तब आचमन कर लेवे इसके बाद मौन पूर्वक स्वादिष्ट भोजन करे (६३-६४) । भोजन करने के अनन्तर दिन में कोई इतिहास, पुराण आदि की पुस्तकें पढ़नी चाहिये (६६)। प्रातःकाल एवं सायंकाल केवल दो समय ही गृहस्थी को भोजन करना चाहिये और बीच में कुछ नहीं खाना चाहिये ( ६७-६८ )। अनध्याय काल ( वह दिन जिनमें पुस्तकों को नहीं पढ़ना ) का वर्णन किया गया है (६६-७३)। गृहस्थी को सुवर्ण गौ एवं पृथिवी का दान करना चाहिये (७४-७७ ) । वानप्रस्थाश्रम धर्मवर्णनम्-
६८८ वानप्रस्थ आश्रम के नियम बताये हैं जोकि अन्य
धर्मशास्त्रों में समान रूप से बताये गये हैं (१-१०) । ६ सन्न्यासाश्रम धर्मवर्णनम्
वानप्रस्थ के बाद सन्न्यास में जाना चाहिये और सन्न्यास में जाने के बाद लड़कों के साथ भी