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________________ [ ३१ ] अध्याय प्रधानविषय पृष्ठाइ वान, विद्वान हो ऐसे पुरुष को दो गाय के साथ जो कन्यादी जाती है वह आर्ष विवाह होता है । कन्या और वर स्वेच्छा से धर्मचारी हो यह कर जो कन्या का दान किया जाय वह मनुष्य विवाह होता है। जिस जगह पर वर से रुपये की संख्या लेकर कन्या दी जाती है उसे दैत्य विवाह कहते हैं। जहां वर कन्या दोनों अपनी इच्छा पूर्वक विवाह कर ले उसे गन्धर्व विवाह कहते हैं। जहां हरण करके कन्या ले जाई जावे उसे राक्षस विवाह कहते हैं। सोई हुई कन्या को जो मय इत्यादि के नशे में जबरदस्ती ले जाया जावे उसे पैशाच विवाह कहते हैं (१-१७)। विवाह के पहले जिन बातों का विचार करना चाहिये उनका निर्देश किया गया है। १ वर, २ कन्या की जाति, ३ वयस, ४शक्ति, ५ आरोग्यता, ६ वित्त सम्पत्ति, ७ सम्बन्ध बहुपक्षता तथा अर्थित्व (१८)। ६ विवाहे वरगुण वर्णनम् । ७५६ वर के लक्षण बताये हैं (१६-२१)। लड़की-जाति, विद्या, धन तथा आचरण की इतनी परवाह नहीं करती है जितनी प्रीति की, अतः लड़का प्रीतिमान होना चाहिये इसलिये सगोत्र की कन्या से विवाह करने पर वह धर्म H
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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