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________________ अध्याय [ ३० ] प्रधानविषय कृषिकृच्छुद्धिकरण वर्णनम् , ७५० कृषिकर्मकरण स सीतायज्ञ वर्णनम् । ७५१ कृषि के सम्बन्ध में बहुत सुन्दर वर्णन किया गया है। अन्त में यह बताया है५ "कृषेरन्यतमोऽधर्मो न लभेत्कृषितोऽन्यतः। . न सुखं कृषितोऽन्यत्र यदि धर्मेण कर्षति" ॥ अर्थात् कृषि के तुल्य दूसरा कोई धर्म नहीं एवं कृषि के तुल्य और कोई व्यवहार इतना लाभदायक नहीं। कृषि करने में ही बड़ा सुख है यदि धर्मानुकूल कृषि की जाय। (१५६-१६५)। ६ कन्या विवाह वर्णनम् । ७५५ कन्याओं के आठ प्रकार के विवाह होते हैं। अपनी जाति में वर के लक्षण देखकर वस्राभूषण से सुसज्जित कर जो कन्या दी जाती है उसको ब्राह्म विवाह कहते हैं। लड़के का लक्षण देखना परमावश्यक है। जिसके पेशाब में फेन निकले वह पुरुष होता है। ऐसा न होने पर नपुंसक होता है। यज्ञ करते हुए यज्ञ करनेवाले को वस्त्राभूषण से सुसज्जित जो कन्या दी जाती है इसे देव विवाह कहते हैं। वर कन्या के समान हो और गुण
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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