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________________ अध्याय [ २४ ] प्रधानविषय पृष्ठाई चित्तप्रसाद बलरूप तपांसिमेधा, मायुज्यशौच सुभगत्व मरोगितां च । ओजस्वितां विषमदात् पुरुषस्यचीर्ण, स्नानं यशो-विभव-सौख्यमलोलुपत्वम् ॥ ३ ओंकार मन्त्र वर्णनम् । ७१० ओंकार मंत्र के जप की विधि बताई गई है। जपने के मन्त्रात्मक सूक्त ये बताये हैं- ब्रह्म सूक्त, शिव सूक्त, वैष्णव सूक्त, सौरि सूक्त, सरस्वती सूक्त, दुर्गा सूक्त, वरुण सूक्त और पुराण शास्त्रों में जो जप आदि लिखे हैं उनका वर्णन है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद में जो . सूक्त आये हैं उनकी परिगणना। गायत्री मन्त्र का जप और ओंकार का जप, जिस मन्त्र का जप उसका ऋषि देवता जानने से सिद्धि होती है (१-६) ओंकार और गायत्री मन्त्र के जप की महिमा और उसका स्वरूप, उसमें यह दर्शाया गया है. कि पहले ओंकार शब्द हुआ और वह अकेला रहा, उसने अपने आमोद-प्रमोद के लिये गायत्री को स्मरण कर उसको प्रत्यक्ष किया, तो गायत्री उसकी पत्नी हो गई और प्रणव (ओंकार) उसका पति हुआ। इनके संयोग से तीन वेद, तीन गुण, तीन देवता, तीन मात्रा, तीन ताल
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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