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[ १० ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क (६-१०)। भेड़िया, गीदड़ और सूकर मारने का पाप, उसका प्रायश्चित्त और शुद्धि (११)। घोड़े, हाथी मारने का पाप, उसका प्रायश्चित्त और शुद्धि (१२)। मृग, वराह के मारने का पाप, उसका प्रायश्चित्त
और शुद्धि (१३-१४ )। शिल्पी, कारु और स्त्री आदि के घात का पाप, प्रायश्चित्त एवं शुद्धि ( १५-१६) ।
चाण्डाल से व्यवहार का पाप उसका प्रायश्चित्त एवं • शुद्धि (२०-२५)। ६ प्रायश्चित्त वर्णनम् ।
६४७ उपर्युक्त के अन्न खाने का प्रायश्चित्त (२६-३०)। अविज्ञात में चाण्डाल आदि के यहां ठहर कर जूठे एवं कृमि दूषित अन्न भोजन करने का दोष और उसका प्रायश्चित्त तथा शुद्धि (३१-३८)। घर की शुद्धि जिस घर में चाण्डाल रह गये उस घर की शुद्धि। इन स्थानों पर रस, दूध दही आदि अशुद्ध नहीं होते हैं
( ३६-४३ )। ६ ब्राह्मण महत्ववर्णनम् । ब्राह्मण के किसी व्रण पर कीड़े पड़ जाय तो उसका वर्णन और उसकी शुद्धि बताई है :--
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