________________
पृष्ठा
[ ६ ] अध्याय
प्रधानविषय चान्द्रायण करना चाहिये (१-६ )। जो बिना इच्छा के पतितों से सम्पर्क रखता है उसकी शुद्धि के लिये बतलाया है ( ७-११)। जो स्त्री ऋतुकाल में पति के पास न जावे अथवा पति पत्नी के पास न जावे उसका वर्णन (१२-१६)। औरस, क्षेत्रज, दत्तक, कृत्रिम पुत्रों की
परिभाषा है (१७-२८)। ५ प्रायश्चित्त वर्णनम ।
६४२ इसमें प्रायश्चित्त का वर्णन आया है। कुत्ता, भेड़िया किसी को काटे उसको गायत्री जपादि प्रायश्चित्त बतलाया है (१-७)। चाण्डाल, चमार आदि से जो
ब्राह्मण मर जाय उसका प्रायश्चित्त (८-१२.)। .. ५ श्रौतामिहोत्र संस्कार वर्णनम् । ६४३
आहिताग्नि के शरीर छूटने पर उसके श्रौतानि से उसका किस प्रकार संस्कार करना इसका विवरण है (१३-३५) । ६ प्राणिहत्या प्रायश्चित्त वर्णनम् ।
६४४ प्राणिहत्या का प्रायश्चित्त-हस, सारस, क्रौंच, टिड्डी आदि पक्षियों को मारने से जो पाप होता है उसका प्रायश्चित्त और शुद्धि (१-८)। नकुल मार्जार, सर्प आदि को मारने का पाप, उसका प्रायश्चित्त और शुद्धि