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[ ४६ ] अभ्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क २० दिनरात्रिकालवर्षादीनां वर्णनम्
देवताओं का उत्तरायण दिन, दक्षिणायन रात्रि है। सम्वत्सर अहोरात्रि है इस प्रकार काल का विभाग बताकर कर्म विपाक बताया गया है और पित क्रिया बताई गई है। २१ अशौचानन्तरं श्राद्धादि वणनम् ४४३
अशौच पूरा होने पर पितृ और अग्निहोत्र वार्षिक श्राद्ध, कुम्भदान आदि का विवरण है। २२ अशौच निर्णय वर्णनम्
४४४ अशौच किस जाति का कितने दिन का होता है। किसी
का दस दिन का किसी का बारह दिन का। २३ अन्नद्रव्यादि शुद्धिवर्णनम्
४४६ बर्तन और अन्नादि की शुद्धि के सम्बन्ध तथा कूप आदि के शुद्धि के विषय—इसमें गाय के सींग का जल और पञ्चगव्य
से अन्न में शुद्धि बताई है। २४ विवाह वर्णनम्---
४५३ ब्राह्मण को चार जाति से विवाह, क्षत्रिय को तीन, वैश्य को दो, शूद्र को एक जाति से विवाह बतलाया है। सगोत्र से