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[ ३३ ] अध्याय प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क अन्य पति का विधान (६६-१००)। वर्णसंकर का वर्णन ( १०५)। वर्णसंकरों की पृथक् पृथक् जाति (१०६-११८)। दायविभागस्त्रयोदशं विवादपदम्
३०८ दाय विभाजन का समय (१-४)। जिस धन का विभा- . जन नहीं हो सकता है (६-७)। स्त्री धन का विवरण (८-8)। सम विभाग अविवाहिता बहिन का (१३)। पिता द्वारा विभाग की मान्यता ( १५-१६)। जो लोग पैतृक धन के अनधिकारी हैं (२०-२१)। सम्मिलित कुटुम्ब के भाइयों का विभाग (२३-२५)। स्त्रियों की रक्षा का विधान (३१-३२)। असंस्कृत कन्या का पितृधन से सत्कार ( ३३ ) । एक साथ रहनेवाले भाई एक दूसरे के साक्षी नहीं होते हैं ( ३६ )। बारह प्रकार के पुत्रों का वर्णन (४२-४५)। पुत्राभाव में कन्या का अधिकार (४७)। साहसं चतुर्दशं विवादपदम्
३१३ तीन प्रकार के साहस (२)। उत्तम साहस (५)। उत्तम साहस का वध, सर्वस्व हरण (७)। महा साहसी का दण्ड (६)। चोरी ( ११) । चुराई हुई वस्तु का वर्णन (१२-२०)।
वाग्दण्डपारुष्यं पञ्चदशं षोडशञ्च विवादपदम् ३१५ वाक्पारुष्य दण्डपारुष्य (भद्दी गाली और अश्लील) तीन
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