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[ ३१ ] 11 - पूधानविषय
पृष्ठाङ्क विक्रीयासम्प्रदान मष्टमं विवादपदम् २८६ बेचकर न देने का विवाद (१)। सौदा करके क्रेता को न देने से स्थायी सम्पत्ति में हानि देनी पड़ती है। जङ्गम वस्तु न देने से उसका जो लाभ हो सो क्रेता को देना पड़ता है (४)। सौदा करने के बाद मूल्य देने पर उपरोक्त नियम लागू होता है अन्यथा नहीं (१०)। क्रीत्वानुशयो नवमं विवादपदम
२६१ क्रेता खरीदने के पीछे ठीक न समझे तो उसी दिन वापिस देवे (१)। यदि दो दिन बाद वापिस दे तो ३० वा हिस्सा देवे अधिक दिन होने से उसका दूना देवे। चार दिन बाद वह सौदा खरीददार का होता है (३)। खरीददार गुण दोष भली प्रकार देखकर सौदा लेवे यह सौदा वापिस नहीं हो सकता (४) गाय को तीन दिन परीक्षा कर देखे, मोती हीरा इत्यादि ७ दिन, द्विपद १५ दिन, स्त्री १ माह और बीजों की १० दिन तक परीक्षा का नियम है। पहने हुए कपड़े वापिस नहीं हो सकते (५-८)। धातु लोहा सोना इत्यादि की अग्नि में परीक्षा सोना घटता नहीं, रजत दो पल घटता है, कासा शीशा आठ प्रतिशत, ताम्बा पांच प्रतिशत घटता है (१०)। जितना काटकर बेचा जाता है (१२-१३)। काषाय वस्त्र खरीदने का विषय (१५)।
समयस्यानपाकर्म दशमं विवादपदम २६२ समय का अनपाकरण (पाखण्डी से राजा बच कर रहे) [१]।