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[ २६ ] पूधानविषय
पृष्ठाङ्क (जामिन ) का वर्णन (१०३)। लेख, लेखक के पूकार, कितने प्रकार के होते हैं ( ११२-१२२ ) जो साक्षी के योग्य नहीं हैअशुद्ध साक्षी ( १३४)। शुद्ध साक्षी। साक्षी विषय (१३५ १५२)। असाक्षी (१६३-१६७)। उभय पक्ष (जिसकी स्वीकृति को मान लेने पर) एक भी साक्षी हो सकता है (१७१) झूठे साक्षी के मुख के चिह्न, ( आकार आदि चेष्टा से) (१७२१७७)। झूठ साक्षी का पाप ( १८६-१८८)। सत्य साक्षी का माहात्म्य ( १६०-२००)। सत्य साक्षी की महिमा (२०३) । तम साक्षी के सम्बन्ध में ( २१५)। शाप ऋषि और देवताों पर भी लगता है (२१८)। उपनिधिकं द्वितीयं विवाद पदम
२७८ औपनिधि निक्षेप का वर्णन (धरोहर )। सम्भूय समुत्थानं तृतीयं विवाद पदम् २७६ सम्भूय समुत्थान (Partnership) वाणिज्य व्यवसायी साझेदार होकर व्यापारादि करते हैंउसे सम्भूय समुत्थान कहते हैं ।
दत्ताप्रदानिकं चतुर्थ विवाद पदम् दत्ता प्रदानिक-जो नियम के विरुद्ध दिया है वह वापिस करने का निदान क्या अदेय क्या वापिस लेना। आपत्ति पर भी जो किसी को समर्पण कर दिया वह फिर नहीं दिया जाता (५)।