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________________ [ २४ ] अध्याय प्रधान विषय पृष्ठाङ्क ६ वर्णानां कर्मविधि वर्णनम् १६६ ब्राह्मण क्षत्रिय दोनों की मिली जुली शक्ति राष्ट्र निर्माण कर सकती है (३२२) । शूद्र को अपने कार्य से ही मोक्ष (३३४)। १० वर्णानां मेदान्तर विवेक वर्णनम्- २०० वर्ण मेदान्तरेण त्वनेकवर्ण वर्णनम्-- २०१स्त्री पुरुष के वर्ण भेद से सन्तान की भिन्न भिन्न जातियों का वर्णन अर्थात् अनुलोम सन्तान और प्रतिलोम सन्तान का वर्णन । अनुलोम और प्रतिलोम की वृत्ति का भी पृथक् वर्णन (१-६२)। १० चतुर्वर्णानां वृत्ति वर्णनम् २०६ चातुर्वर्ण्य के लिये अहिंसा, सत्य, अस्तेय, शौच, इन्द्रिय निग्रह मनु ने धर्म बताया है (६३)। १० वृत्ति जीविक वर्णनम वर्णधर्म, यथा; ब्राह्मण का पढ़ना, पढ़ाना दान लेनावदेना, यज्ञ करना कराना इत्यादि (७५)। इनके कार्य जाति विभागानुसार (७६ से समाप्ति पर्यन्त )। ११ धर्मप्रतिरूपक वर्णनम् २१३ यज्ञ होम सोम यज्ञ के सम्बन्ध में स्नातकों का सम्मान । २०६
SR No.032667
Book TitleSmruti Sandarbh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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