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ORGAGOV.
HARYA.
भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा
___अर्थात् .. पार्श्व पट्टावली
पार्श्वनाथ तेवीसवें, तीर्थेश क्या वर्णन करू ।
उपकार जिनका है महा, श्वासोश्वास उर में धरू । 'असि श्रा उ सा' मंत्र से, धरणेन्द्र बनाया नाग को। अहा-हा मैं वन्दन करू, त्रिय जग के महा भाग्य को ॥१॥
१-श्री शुभदत्त गणधर प्रदाता थे वे सुभ गति के. गणधर शुभदत्त जानिये।
रचना द्वादशांग की जिन केरी, तत्व ज्ञान पहचानिये ॥ धर्म धुरन्धर सुभट विजयी, प्रकाश सूर्य सा किया।
वन्दन किया उनके चरण में, धन्य था उनका जिया ॥