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________________ भूमिका. नागपुर के निवासी नारायण सेठ को प्रतिबोध दे जैनी बनाया था जिसने नागोर के किले में जिन मन्दिर बनाया था । नगर में एक बड़ा मन्दिर के नामसे विख्यात मन्दिर है। यह मन्दिर चोरडिया के खानदानी वीर #शाशाहने बनाया था। सर्व धातुमय विशाल और मनोहर मूर्ति बहुत ही प्राचीन है। ६ लोद्रव पट्टन-यहाँ चिंतामणि पार्श्वनाथ का अति पुराना मन्दिर तीर्थ स्वरूप है । प्राचीन काल में यहाँ ब्राह्मणों का खूब जोर था । उपकेशगच्छीय जम्बुनागमुनिने उनसे शास्त्रार्थ में विजय प्राप्त कर यहाँ कई जैन मन्दिर बनाकर जैन धर्म का मंडा फहराया था । लोद्रवा के पास ही वि. सं. १२१२ में जेसलमेर नामक नगर बसाया गया था। यहाँ पर किल्ला के अंदर ( मन्दिर हैं । अनेक यात्री संघ सहित इस तीर्थ की यात्रार्थ आते हैं। फलोधी और बाडमेर से यात्रियों को मोटर मिल सकती है । ७ जाबलीपुर-(जालोर)-यह प्राचीन नगर भी इतिहास-प्रसिद्ध है । यहाँ कई प्राचीन मन्दिर हैं । महाराजा कुमारपालने सुवर्णगिरि किले में एक भव्य मन्दिर बनवाया तथा उसकी प्रतिष्टा कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्र सूरिसे करवाई। दो मन्दिर किलेमें और भी प्राचीन हैं। ८ फलवृद्धि-जिसे आज कल मेड़ता रोड-फलोधी कहते हैं । यहाँ पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति बेलु रेती और गौ दुग्ध मिश्रित बनी है । यह मूर्ति प्रति चमत्कारी जमीन से प्रकट हुई है। वि. सं. ११८१ में आचार्य धर्मघोष सूरि ५०० मुनियों
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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