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________________ कापरड़ा तीर्थ । मारवाड़के तीर्थ. १ उपकेशपुर पट्टन-जिसे आज मोशियाँ नगरी कहते हैं । यहाँ श्री महावीर प्रभु का प्राचीन तीर्थ है। आचार्य रत्नप्रभ सूरि के करकमलों से इसकी प्रतिष्टा हुई । प्रतिष्टा हुए आज २३८८ वर्ष हुए हैं। प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ला ३ को यहाँ पाट उत्सव का मेला भरता है । यहाँ पिछले १५ वर्षों से एक विद्यालय बोर्डिंग सहित अच्छी तरह से चल रहा है। २ कोरण्टपुर पट्टन-जिसे आज कोरटा कहते हैं । यहाँ श्री महावीर स्वामी का प्राचीन तीर्थ है । आचार्य श्री रत्नप्रभ सूरि के करकमलों से उपकेशपुर पट्टन तथा कोरंटपुर पट्टन में एक साथ ही प्रतिष्टा हुई थी। प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ला १५ को मेला भरता है। - ३ माण्डव्यपुर-जिसको आज मंडोवर या मंडोर कहते हैं । यहाँ किले में एक प्राचीन मन्दिर टूटी फूटी दशा में इस समय मौजूद है । यह भी करीब २१०० वर्ष का पुराना है। ४ तिंवरी—यहाँ भी एक प्राचीन मन्दिर है जो जमीन से निकला हुआ है । अनुमान होता है कि यह भी ओशियां के मन्दिर के साथ बना हुआ है। ५ नागपुर-इसे लगभग २००० वर्ष पहले नागवांशयोंने बसाया था । यह अब नागौर के नाम से मशहूर है । उपकेशगच्छ चारित्र से पता मिलता है कि आचार्य देवगुप्तसूरिने
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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