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आबू के मन्दिर को बनाने वाले विमलसा सेठ को दुनिया जानती है जिस ने सिर्फ़ आबू के मन्दिर में ही भठारह क्रोड़ रुपये लगाये हैं जिस में स्वर्ण चाँदी जवाहिर बिल्कुल नहीं
लगाया है केवल सङ्गमरमर के पाषाण में वारीक नकशी का बढ़िया काम है दुनिया भर में प्रथम नंबर की एक ही इमारत भारतवर्ष की शोभा बता रही है जिस को बने लग भग १००० बर्ष हुवे हैं । जैनिओं के तीर्थ प्रायः सब पहाड़ पर हैं जहां लाखों यात्री कार्त्तिकी और चैत्री पूर्णिमा पर इकट्ठे होते हैं भारतवर्ष में सब पहाड़ पर जैनिओं के नामांकित मंदिर हैं कितनेक पहाड़ आज भी जैनियों के अधिकार में हैं जहां जाने के लिये जैनिभों की आज्ञा लेनी पड़ती है अकबर बादशाह ने सब धर्मों के गुरुओं को बुलाकर योग्य प्रश्न उनके धर्म के विषय में पूछ संतुष्ट होकर इनाम और जागीरें दी हैं ऐसे ही जैनियों के धर्मगुरु हीरविजय सूरिका गुजरात खंबात से बुलाकर जैनधर्म के तत्वों को पूछकर संतुष्ट होकर जागीर देने लगा किन्तु जैनसाधु पैसे किंवा स्त्री से विरक्त होते हैं इस लिये जागीर किंवा द्रव्य नहीं लिया बादशाह की बहुत प्रार्थना होने पर पवित्र दिनों में जीवहिंसा बंद करादी थी और जैन तीर्थों की जगायें जैन संघको दिलवादीं और नियम करा दियो कि वहां जाकर कोई भी जैनेतर किंवा बादशाही लशकर जैनधर्म विरुद्ध कृत्य न करे ।
आज जैनियों की संख्या प्रायः तेरह लाख के भीतर है और उन में श्व ेताम्बर दिगम्बर दोनो अपनी उन्नति के लिये योग्य उपाय ले रहे हैं उस श्वेताम्बर आम्नाय में भद्रबाहु और
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