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________________ प्रियदर्शना और जामाता जमाली का स्पष्ट उल्लेख है। इस प्रकार दोनों सम्प्रदायों का मतभेद है। विषयान्तर के कारण यहां अधिक वर्णन को आवश्यकता नहीं हैं। कारण कि दोनों सम्प्रदाय वाले उपरोक्त तीर्थ पावापुरी के जलमन्दिर को मानते हैं, परन्तु दिगम्बरी सम्प्रदाय वाले गांव मन्दिर को निर्वास स्थान नहीं मानते हैं। - प्राचीन होने के कारण श्वेताम्बर सम्प्रदाय वाले ही अद्यावधि समस्त तीर्थो की तरह, इस पवित्र पावापुरी तीर्थ की रचा व देखरेख बराबर करते पा रहे हैं। श्वेताम्बर श्रीसंघ की ओर से जो सज्जन मैनेजर नियुक्त होते हैं उनको गांव मन्दिर, जलमन्दिर, समोसरनजो मन्दिर, धमशाला एवं रास्ता वगैरह का प्रबन्ध करना पड़ता है। दून मन्दिरों के अतिरिक्त एक श्री महावीर खामी का मन्दिर और भी है जो कि मुर्शिदाबाद-अजीमगन निवासिनी बाई महताब कुंवर की पोर से सरोवर के उत्तर तरफ बना है। - वर्तमान समय में लगभग तीस वर्ष हुए दिगम्बरी लोगों ने जलमन्दिर के सरोवर के तट पर पूर्व दिशा में अपना एक मन्दिर और धर्मशाला बनवाये हैं। श्वेताम्बर मन्दिरों के संक्षेप वर्णन के साथ मुझे वहां जो कुछ ऐतिहासिक सौधन प्राप्त हुए हैं वह यहां उपस्थित करना समुचित होगा। [१] गांव मन्दिर ___यह मन्दिर पावापुरी गांव के पश्चिम को ओर अवस्थित है और मन्दिर के चारो तरफ एक बड़ा हाता (कंपाउण्ड) घिरा हुआ है। इसी हाते के अन्दर ही श्वेताम्बर संघ की पढ़ो, तीर्थ भण्डार, और धर्मशाला बनी हुई है। धर्मशाला अंधिकांश में द्वितल है और उसमें सैकड़ों कोठरियां मौजूद है, जिनपर बनवाने वालों को पटरियां लगी हुई हैं। दर्शकों को यह देख कर पड़ा ही ऑनन्द होता है कि एक छोटे से गांव के मन्दिर में, केवल एक परम पवित्र तीर्थ समझ कर स, देश के सब प्रान्त के धार्मिक सज्जन उस स्थान में यात्रा करने वाले भाइयों के लिये अपना द्रव्य व्यय किये है, और वास्तव में वहां सैकड़ों नहीं बल्कि जारी
SR No.032640
Book TitlePavapuri Tirth ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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