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श्री राणकपुरतीर्थ ]
प्राग्वाटशातीय श्रेष्ठि सं.त्ला एवं सं. धाणाशाह का वंशवृक्ष
सं० सांगण
सं० कुरपाल (कामलदेवी अपरनाम कपुरदेवी)
सं० धरणा
सं० रत्ना .. (रत्नादेवी)
(धारलदेवी)
जीणा
सं.लाषा सं.सलषा सं.मना सं.सोना सं.सालिग ऑषा जावंड़
। (सुहागदेवी रनायकदेवी)
आशा सं० सहसा (आसलदेवी) (१संसारदेवी रअनुपमादेवी) सत्त खीमराज देवराज
(१रमादेवी २ कपुरदेवी)
प्रा० जै० ले० सं० भा०२ लेखांक ३०७ में 'मांगण' छपा हैं, परन्तु मूललेख-प्रस्तरपट्ट में सांगा है। अ० प्रा० ० ले० सं० भा० २ लेखांक ४६४.
अचलगढ़ में विनिर्मित श्री चतुर्मुख ऋषभदेव मन्दिर के सं० सहसा के वि० सं०१५६६ के लेख सं० ४६४ में सं० रला के पुत्र लाषा के पश्चात् सलषा उल्लिखित हैं। यह नाम राणकपुरतीर्थ की प्रशस्ति में नहीं है अखरता है।