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मिश्रबंधु-विनोद कीन्हीं बरजोरी मोरी बाहन मरोरी माय,
बेचन न जैहों दधि गोकुल नगर में ॥ कहाँ है कहाँ है कस बाजत सुरीली राग,
मुरली कलिंदी तट प्यारी ब्रजराज की ; मधुप उड़े हैं कह शीतल पराग लेन ?
बौरे हैं रसाल जहँ बारी नंदराज की। काहे को बिहाल बन बिहँग भ्रमे हैं आज ?
निकसी सवारी कहुँ मार महराज की ; काहेरी सखिन मन उमँग बढ़े हैं आज,
जानत न भोरी है अवाई रघुराज की ॥३॥ नाम-( २५०६) शंकर । ग्रंथ-(१) भाषाज्योतिष, (२) ज्ञानचौंतीसी। [प्र० ० रि०]
सत्यनारायणकथा । कविताकाल-१९४४ के पूर्व । नाम-(२५०६ ) हीरालाल काव्योपाध्याय । ग्रंथ-(१) नवकांडदुर्गायन, (२) शालागीतचंद्रिका, (३)
गीतरसिका, (४) छत्तीसगढ़ी व्याकरण । जन्मकाल-१६१२। मृत्युकाल-१६४६ ।। विवरण-श्राप बाबू बालारामचंद नाहू के पुत्र तथा उच्च कोटि
के गणितज्ञ थे। नाम-( २५०६ ) रायबहादुर होरालाल बी० ए० एम्।
आर० ए० एस०, रिटायर्ड डिप्टी कमिश्नर । ग्रंथ-(१) मध्यप्रदेश भौगोलिक गमार्थ परिचय, (२) दमोह
दीपक, (३) जबलपुरज्योति, (४) सागरसरोज, (५) सागरभूगोल, (६) इमसाबाग ।