________________
वर्तमान प्रकरण
१२७३ आपने २२ वर्ष की अवस्था में बी० ए० पास किया और संवत् ११४४ से ढाई वर्ष हिंदोस्तान-नामक हिंदी दैनिक पत्र का संपादन किया। इस पत्र के लेख देखने से मालवीयजी की हिंदी की योग्यता का परिचय मिलता है । संवत् १६४६ में आपने एल० एल० बी० परीक्षा पास कर ली और तभी से आप प्रयाग हाईकोर्ट में वकालत करते थे। आपने वकालत में लाखों रुपए पैदा किए और फिर भी देश हित की ओर प्रधानतया ध्यान रक्खा । श्राप छोटे तथा बड़े लाट की सभामों के सभ्य हैं और युक्तप्रांतों के राजनीतिक विषय में नेता हैं। १९६६ में लाहौर की कांग्रेस के श्राप सभापति हुए थे। प्रयाग में हिंदू-बोडिंगहाउस केवल आपके प्रयत्नों से बन गया। आपने सदैव लोकहितसाधन को अपना एकमात्र कर्तव्य माना है, और वकालत से बहुत अधिक ध्यान उस ओर रक्खा है। अब आप वकालत छोड़कर लोक-हित ही में लगे रहते हैं । आप अँगरेज़ी के बहुत बड़े व्याख्यानदाताओं में हैं और शुद्ध हिंदी में धारा बाँधकर उत्तम व्याख्यान
आपके बराबर कोई भी नहीं दे सकता । वर्तमान समय के बड़े-बड़े व्याख्यानदाताओं के व्याख्यानों में हमें बहुधा मूर्खमोहिनी विद्या ही देख पड़ी, पर मालवीयजी के व्याख्यानों में पंडित-मोहिनी विद्या पूर्णरूपेण पाई जाती है। आपका जन्म धन्य है और आपका जीवन वास्तव में सार्थक है । मालवीयजी ने कोई हिंदी का ग्रंथ नहीं रचा, पर आप लेखक बहुत अच्छे हैं । हिंदू-विश्वविद्यालय आप ही के परिश्रम का फल है। आप जिस समय उसकी अपील करने निकलते हैं तब लाखों ही रुपए इकट्ठे कर लाते हैं । ईश्वर आपको चिरायु करे ।
(२३८१) माधवप्रसाद मिश्र ये झज्झर जिला रोहतक के निवासी थे । प्रायः १८ साल हुए करीब ४० वर्ष की अवस्था में स्वर्गवासी हुए । पाप सुदर्शन मासिक पत्र के संपादक और गद्य हिंदी के बड़े ही प्रबल लेखक थे। आपने