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________________ वर्तमान प्रकरण १२६६ दिननाथ तेज प्रचंड बस नहिं नीर देखिय ताल में ; . डर लगत देखत बन सकल यहि कठिन ग्रीषम काल में ॥ ४ ॥ नाम-( २३७२) फतेहसिंहजी ( चद ) राजा, पवाया, जिला शाहजहाँपूर। ग्रंथ-(१) चंद्रोपदेश, (२) वर्णव्यवस्था, (३) फलित ज्योतिष सिद्धांत, ( ४ ) प्लेग-प्रतिकार, (२) स्फुट काव्य, समस्यापूर्ति इत्यादि। कविताकाल-वर्तमान । विवरण-ये पवाँया के राजा हैं। कविता अच्छी करते हैं और काव्य तथा कवियों के बड़े प्रेमी हैं । आपकी अवस्था इस समय लगभग ६५ साल के होगी। यह ग्रंथ हमने देखे हैं । इनके अतिरिक्त शायद आपके और भी ग्रंथ हों। (२३७३) बलवंतराव ये सेंधिया (प्रिंस ) ग्वालियर-निवासी हैं ! ये भी हिंदी-गद्य लिखते हैं। आपका एक लेख सरस्वती पत्रिका की छठी संख्या में है। आपकी अवस्था इस समय लगभग ६४ साल के होगी। (२३७४) सूर्यप्रसाद मिश्र . ये मकनपूर जिला फर्रुखाबाद के निवासी हैं। आप हिंदी के अच्छे व्याख्यानदाता एवं प्रार्य-समाजी हैं । अापने कान्यकुब्ज सभा के हित में विशेष यत्न किया, और बहुत-से लेख भी लिखे । कुछ दिन के लिये श्राप मातंडानंद नाम-धारण करके फकीर भी हो गए थे, परंतु अब फिर गृहस्थ हैं । आपकी अवस्था प्रायः ६४ वर्ष की होगी। सुकरात की मृत्यु और मार-पूजा-नामक दो ग्रंथ आपके हैं । (२३७५ ) दीनदयालु शर्मा व्याख्यान-वाचस्पति ये भारतधर्ममहामंडल के सबसे बड़े व्याख्यानदाता हैं। आपकी वाणी में बड़ा बल है, और आप बहुत उत्तम व्याख्यान देते हैं । आप
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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