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________________ वर्तमान प्रकरण पढ़ना भली भाँति न हो सका । इन्होंने बहुत-से व्यापार किए, पर जमकर ये कोई व्यापार न कर सके । अंत में काशीजी में रहने लगे। हिंदी का इन्हें सदैव से बड़ा प्रेम था और इन्होंने अनुवाद मिलाकर प्रायः २० पुस्तकें रचों । प्रेमविलासिनी और हिंदी-प्रकाश-नामक दो पत्र भी आपने निकाले और प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती की प्रथम संपादक-समिति में यह भी सम्मिलित थे। इनका देहांत संवत् १६६१ में, काशीजी में, हुआ। ये महाशय हिंदी के एक बहुत अच्छे लेखक थे और इनका गद्य परम रुचिर होता था। इनके ग्रंथों में से इला, प्रमिला, मधुमालती और जया हमारे पास प्रस्तुत हैं। .: (२१९४ ) केशवराम भट्ट इनका जन्म संवत् १९१० में, महाराष्ट्र-कल में, हुआ था। इन्होंने १९३१ में बिहारबंधु पत्र निकाला । पीछे से ये शिक्षा विभाग में नौकर हो गए। ये हिंदी के अच्छे लेखक और परम प्रेमी थे। विद्या की नींव, भारतवर्ष का इतिहास ( बँगला से अनुवादित), शमशाद सौमन नाटक, सज्जाद संबुल नाटक, हिंदी-व्याकरण, एक जोड़ अँगूठी, और रासेलस (अनुवाद) नामक पुस्तकें इन्होंने लिखीं । इनका देहांत सवत् १९६२ के लगभग हुश्रा । ये बिहार के रहनेवाले थे। . (२१९५ ) तुलसीराम शर्मा __ ये परीक्षित गढ़ ज़िला मेरठ-निवासी थे । इनका जन्म संवत् १९१४. में हुआ । श्राप संस्कृत के बड़े भारी पंडित एवं आर्य-समाज के प्रधान उपदेशकों में थे। अापने सामवेदभाष्य, मनुभाष्य, न्यायदर्शनभाष्य, श्वेताश्वतरोपनिषत्भाष्य, ईश, केन, कठ, मुंडक-भाष्य, हितोपदेश भाषा, सुभाषितरत्नमाला और दयानंदचरितामृत-नामक ग्रंथ बनाए । (२१९६) गोविंद कवि ये महाशय पिपलोदपुरी के राजा दूलहसिंह के श्राश्रय में रहते थे, और उन्हीं की आज्ञा से संवत् १९३२ में इन्होंने हनुमन्नाटक का भाषा
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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