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वर्तमान प्रकरण
दैनिक पत्र सम्राट् नामक जारी किया था, परंतु कुटिल काल की गति से वह भी रमेशसिंहजी के साथ ही अस्त हो गया। ( २१७६ ) गोविंद गिल्लाभाई
इनका जन्म सिहोर रियासत भावनगर में श्रावण सुदी ११ संवत् १६०५ को हुआ था । आपके पिता का नाम गिल्ला भाई है । श्राप गुजराती हैं, और इसी भाषा में रचना करते थे, परंतु पीछे से हिंदी में भी करने लगे । आपके पास बहुत-से ग्रंथ हैं और आप हिंदी के बड़े प्रेमी तथा उत्साही हैं । आपने नीति-विनोद, शृंगार - सरोजिनी (१६६५ ), षट्ऋतु ( १६६६ ), पावस - पयोनिधि ( १६६२ ) समस्यापूर्ति प्रदीप, वक्रोक्तिविनोद, श्लेषचंद्रिका ( १६६७ ), गोविंद ज्ञानबावनी ( १६६० ), प्रारब्ध-पचासा ( १६६६ ) और प्रवीन सागर की बारहलहरी - नामक चौदह पद्य ग्रंथ बनाए हैं, जो प्रकाशित हो चुके हैं । इनमें काव्य अच्छा है । बहुत दिनों तक श्राप सरकारी नौकरी करते रहे । खेद है कि हाल ही में आपका स्वर्गवास हो गया । श्रापकी कविता व्रजभाषा में है । आपने निम्न लिखित ग्रंथ और भी रचे हैं—
( १ ) विवेक - विलास, ( २ ) लक्षण - बत्तीसी (१६२६ ), (३) विष्णु - विनय-पचीसी ( १६३७ ), ( ४ ) परब्रह्मपचीसी ( १६३७ ), (५) प्रबोधपचीसी ( १६३७ ), (६) शिखनखचंद्रिका ( : ६४१ ), ( ७ ) राधारूपमंजरी ( १६४१ ), ( ८ ) भूषणमंजरी (१६४५ ), ( 4 ) श्रृंगारषोडशी ( ११४५ ), (१०) भक्ति कल्पद्रुम ( १४५ ), ( ११ ) राधामुखषोडशी ( ११५० ), ( १२ ) पयोधरपचीसी ( १९५१ ), (१३) नैनमंजरी (१६५३ ), (१४) छबिसरोजिनी ( १६२४ ), ( १२ ) प्रेमपचीसी ( १६२४ ) (१६) साहित्यचिंतामणि प्रथम भाग ( १६६५ ), ( १७ ) रत्नावलीरहस्य ( १६७१ ), (१८) बोधबत्तीसी ( १६७३ ), ( १६ ) शब्द -