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________________ वर्तमान प्रकरण ११६७ वंशावली, मुग़लवंशावली, युवतीयोग्यता, कविरत्नमाला,अरबी भाषा में संस्कृत-ग्रंथ, रूठी रानी, परिहारवंशप्रकाश और परिहारों का इतिहास। इन ग्रंथों का हाल हमें स्वयं मुंशीजी से ज्ञात हुआ है। आपने कविरत्नमालावाले कवियों के नामों की एक हस्त-लिखित सूची भी हमारे पास भेजने की कृपा की। इसमें ७५४ नाम हैं। उपर्युक्त ग्रंथों में बहुतसे हमने देखे हैं और उनमें से बहुत-से हमारे पास वर्तमान भी हैं। इन्होंने इतिहास-ग्रंथों में गद्य-काव्य न लिखकर सीधी-सादी इबारत में सत्य घटनाएँ लिखने का प्रयत्न किया । रूठी रानी एक प्रकार से उपन्यास भी है। इनके अच्छे गद्य-लेखों की भाषा सुलेखकों की-सी होती थी। इनके प्रयत्नों से हिंदी में इतिहास-विभाग की अच्छी पूर्ति उदाहरण "दूपरे चित्र में एक सिंहासन बना था । ऊपर शामियाना तना था। उस सिंहासन पर एक भाग्यवान् पुरुष पाँव-पर-पाँव रक्खे बैठा था ; तकिया पीठ से लगा था, पाँच सेवक आगे-पीछे खड़े थे और वृक्ष की शाखा उस सिंहासन पर छाया किए हुए थी।" जहाँगीरनामा (पृष्ठ १४४) आपने ऐतिहासिक कामों की उन्नति के लिये नागरीप्रचारिणी सभा काशी को प्रायः १००००) रु० का दान दिया। थोड़े दिन हुए कि आपका शरीर-पात हो गया। आपके प्रयत्नों से हिंदीसाहित्य-विभाग की अच्छी पूर्ति हुई है। (२१७२ ) जगमोहनसिंह इनका जन्म संवत् १९१४ में, विजयराघवगढ़ में, हुश्रा । ठाकुर सरयूसिंहजी इनके पिता एक राजा थे, पर संवत् १९१४.१श्वाले विद्रोह में उनका राज्य सरकार ने जब्त कर लिया । जगमोहनसिंहजी ने काशी में विद्या पढ़ी, जहाँ इनसे भारतेंदुजी से स्नेह हुआ।
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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