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________________ वर्तमान प्रकरण पैंतीसवाँ अध्याय वर्तमान हिंदी एवं पत्र-पत्रिकाएँ. ( १९२६ – १९४५) भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र के अतिरिक्त कोई परमोत्तम कवि इस समय में नहीं हुआ । उनके अतिरिक्त उत्कृष्ट कवियों की गणना में महाराजा रघुराजसिंह और सहजराम ही के नाम आ सकते हैं, पर ये भी प्रथम श्रेणी के न थे, यद्यपि इनकी कविता आदरणीय अवश्यः है । इनके अतिरिक्त साधारणतया उत्कृष्ट कवियों में गोविंद गिल्लाभाई, द्विजराज, व्रजराज, विशाल, पूर्ण, श्रीधर पाठक, हनुमान्, मुरारिदान और ललित की भी गणना हो सकती है । इस समय में चंद्रकला आदि कई स्त्रियों ने भी मनोहारिणी कविता की है, जैसा कि श्रागे समालोचनाओं से प्रकट होगा। प्राचीन प्रथा के कवियों में नायिकाभेद, अलंकार, षट्ऋतु और नखशिख के ही ग्रंथों के बनाने की कुछ परिपाटी-सी पड़ गई थी। अच्छे कविगण प्रायः इन्हीं विषयों पर रचना करते थे और कथाप्रसंग अथवा अन्य विषयों पर कम ध्यान देते थे । इस काल में प्राचीन प्रथानुयायी कविगण तो पुराने ही ढर्रे - पर विशेषतया चल रहे हैं, पर बहुत-से नवीन प्रथा के लोग इस रीति को अनुचित समझने लगे हैं। थोड़े ही विषयों को ले लेने से शेष उत्तम विषय छूट जाते हैं और कविता का मार्ग संकुचित हो जाता है । आजकल रेल, वार, ढाक, छापेख़ानों आदि के विशद
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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