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मिनबंधु-विनोद
रचनाकाल-१९२४ । विवरण-पिपरी-राज्य छत्रपूरवासी। नाम-(२१४३ ) शंकरलाल । ग्रंथ-कृष्णचंद्रिका । [प्र. ० रि०] रचनाकाल-१९२४ । विवरण-रजधान जिला कानपूरवासी। नाम-(२१४३ ) स्वामो हरिसेवक साहब संत । ग्रंथ--सेवकबहर, सेवकतरंग । रचनाकाल-१६२४ । जन्मकाल-सं० १८८६ । मृत्युकाल-१९५६ । विवरण-आप बलिया-निवासी शिवगोपाल के पुत्र थे । आप
योगशास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। उदाहरणबचन विस्वास दो मदद गुरु श्रासले,
त्रिगुण पिस्तौल बंधूम करु ग्राम को; लोप संतोष अरु ज्ञान गोला बना,
बीर ना गने रण शीत और धाम को। बंधु सुत नारि परिवार सब बहर बनो है,
ढाल कर बाल अरह जाम को; कहें हरिसेवक पद शीश दे गरू' को,
विषय को मारि ललकारि ले राम को। जै जै जै वालमीक बलिया जो प्रकट कियो, ___चारों दिशि खाई जाकी चौकी मुनीश्वर की ; पूरब पराशर दक्षिण गंगागर्ग दर दर भृगु,
दक्षिण हैं कपिलदेव उत्तर दे कुलेश्वर की।