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________________ मिश्रबंधु - विनोद अज्ञात -कालिक प्रकरण इकतीसवाँ अध्याय अज्ञात काल बहुत-से कवियों के विषय में प्रयत्न करने पर भी काल-निरूपण नहीं हो सका, परंतु इसी कारण उन्हें छोड़ देना अनुचित समझकर हमने उनके लिये यह श्रध्याय नियत कर दिया है। इनमें खगनिया की कविता कुछ अच्छी प्रतीत होती है । इन कवियों में दो-चार का सूक्ष्मतया हाल समालोचनाओं द्वारा लिखकर चक्र-द्वारा शेष का वर्णन कर देवेंगे । इस संस्करण में जिनका हाल विदित हो सका उनके नाम यथास्थान रख दिए गए हैं, परंतु नंबर न बिगड़ने के कारण नहीं हटाए गए । नाम – ( 32 ) अनंत कवि । फुटकर छंद गोविंदगिल्लाभाई के पुस्तकालय में हैं । नाम —- ( १३२२ ) कलस । देखो नं० ( ५३५ ) विवरण — कवि कलस शंभाजी के काव्य-गुरु और प्रधान अमात्य थे । शंभाजी इनकी बड़ी इज़्ज़त करते थे । यह और कलस साथ-ही-साथ पकड़े गए और मार डाले गए । कलस वीर पुरुष पर विषयी था । कहते हैं, शंभाजी की दुर्दशा और अधःपतन इसो के कारण हुआ । महाराष्ट्र लोग शंभाजी को घृणा की दृष्टि से देखते हैं
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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