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- मिश्रबंधु-विनोद
हनुमान नित गा राम सुजस अनंद पै। जौजौं अलकेस बेस महिमा सुरेस सुर,
___सरिता समेत सुर भूतल फनिंद पै; ___ बिजै-नृप नंद श्रीभवानीसिंह भूप मनि
बखत बिलंद तौलौं राजौ मसनंद पै ॥२॥
(२०६०) बालदत्त मिश्र (पूरन ) आपका जन्म संवत् १८६५ में भगवंतनगर जिला हरदोई में प्रसिद्ध माँझगाँव के मिश्रोंवाले देवमणि-वंश में हुआ था। आपके पिता पंडित बालगोविंद मिश्र बड़े ही दृढ़ आचरण के मनुष्य थे और प्राचीन प्रथा के ऐसे विकट अनुयायां थे कि गुरुजनों की लाज निभाने को इनसे उन्होंने यावज्जीवन संभाषण नहीं किया । इनके बड़े भाई मुखलालजी के कोई पुत्र जीवित नहीं रहा, सो इनकी स्त्री ने अपने एक-मात्र पुत्र बालदत्तजी को अपनी जेठानी को दे दिया। इस समय
आपकी अवस्था सात वर्ष की थी। इसी समय से अपने काका के साथ आप इटौंजा ज़िला लखनऊ में रहने लगे । काका के पीछे आपने उनका काम-काज सँभाला और अपनी व्यापारपटुता से थोड़ी सी संपत्ति को बढ़ाकर अच्छा धन उपार्जन किया। आपने संवत् १९५६ में अपने मृत्युकाल तक साधारणतया बड़ी ज़िमींदारी पैदा कर ली। यावजोवन आपने गंभीरता को निबाहा । सुरलोक-यात्रा से ३ वर्ष प्रथम श्राप इटौंजा छोड़ सकुटुंब लखनऊ में रहने लगे थे । बालकपन में आपने हिंदी तथा संस्कृत का कुछ अभ्यास किया और कुछ गीता को भी पढ़ा, परंतु इनके काका को इनका गीता पढ़ना इस कारण अरुचिकर हुआ कि गंभीर स्वभाव को बढ़ाकर कहीं ये संसार-स्यागी न हो जावें । काका की आज्ञा मानकर इन्होंने गीता छोड़ दिया। गधौली के लेखराज कवि इनके एक अन्य काका के पौत्र थे । गधौली इटौंजा से केवल १२ मील पर है, सो इन दोनों महाशयों में प्रीति