SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 150
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०८० मिश्रबंधु-विनोद ग्रंथ-भावनामृत । [प्र. त्रै. रि०] नृपकेलि कादंबिनी । [च० ० रि०] कविताकाल-१६०० के पूर्व । नाम-(१६३६ ) रमणलाल गोस्वामो । ग्रंथ-हितमार्गगवेषिणी । रचनाकाल--.१६०० के पूर्व । विवरण-राधावल्लभाय संप्रदायाचार्य । नाम-(१९३७) रघु महाशय । कविताकाल-१४०० के पूर्व । विवरण-इनके पद रागसागरोद्भव में हैं । नाम-(१९३८ ) रामजस । कविताकाल-१६०० के पूर्व । विवरण-इनके पद रागसागरोद्भव में हैं। नाम-(१९३९) रामराय राठौर। कविताकाल-१६०० के पूर्व । विवरण-साधारण श्रेणी। नाम-(१९४०) रायमोहन । कविताकाल-१६०० के पूर्व । विवरण-इनके पद रागसागरोद्भव में हैं। नाम-( १९४१ ) रूप सनातन । ग्रंथ-श्रृंगारसुख । कविताकाल-१६०० के पूर्व । [प्र० ० रि०] विवरण-इनके पद रागसागरोद्भव में हैं। कहते हैं कि रूप और सनातन दो भाई थे । रूप रहते थे राधाकुंड पर और सनातन वृंदावन में।
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy