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________________ परिवर्तन-प्रकरण १०७३ काव्य), (१८७३) नल, (१८७४) नाज़िर, (१८७५) निर्मल [खोज १६०५] (भक्ति कविता), (१८७६) नंदकेसरीसिंह (सगारथलीला रची, जिसमें साधारण श्रेणी का काव्य है ), (१८७७ ) परिचारण, (१८७८) पुरान, ( १८७६) बोरी, (१८८०) भगंड, (१८८१) भरतेस, (१८८२ ) भागु, ( १८८३) भैरव चारण ( बटुकपचासा), (१८८४) मदन, (१८८५) मधुकर, (१८८६) मधुप, (१८८७) रन्छणल, (१८८८) रामकृष्ण की वधू, (१८८१) शिवपाल, (१८९०) सरूपदास, (१८६१) सवाईराम, (१८९२) सिरा, (१८९३) सुंदरिका, (१८६४) हरिसुख, (१८६५) हून और (१८६६) हृदयानंद, ( १८६७ ) जयलाल का भी नाम सूर्यमल ने लिखा है। ये उनके भाई थे। इनका समय १८१७ समझना चाहिए। नाम-(१८९७) बंदावली । ग्रंथ-कोकसार वैद्यक । [पं० त्रै० रि०] । रचनाकाल-१८६७ के पूर्व । नाम-(१८९८) विहारी उपनाम भोजराज ( भोज )। ग्रंथ-(1) भोजभूषण, (२) रसविलास । कविताकाल-१८६७ । विवरण-साधारण श्रेणी । महाराजा रतनसिंह चरखारी-नरेश के यहाँ थे। ना—(१८९९) बिहारीलाल त्रिपाठी, टिकमापुर, जिला कानपूर । कविताकाल-१८१७ । विवरण-ये मतिराम कवि के वंशधर हैं । तोष-श्रेणी। नाम-(१९००) बुद्धसिंह कायस्थ, बुंदेलखंडी।
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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