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परिवर्तन-प्रकरण मधुकर मेरे ढिग जनि प्राय । से हरजाई बंसकलंकी सब फूलन बसिजाय । कारे सबै कुटिज जग जाने कपटी निपट लवार ; अमृत पान करें विष उगिलैं अहिकुल प्रतछ निहार। देखत चिमनी सुभग चमकनी राखी मंजु बनाय; . . कारी अनी बान की पैनी लगत पार है जाय। कारी निसि चोरन को प्यारी औगुन भरी अनेक ; ललितकिशोरी प्रीति न करिहौं कारे सों यह टेक ॥ १ ॥
- इस समय के अन्य कविजन नाम-(१८२२ ) उन्नडजी। ग्रंथ-(1) भगवत पिंगल, (२) मेघाडंबर, (३) खुसवो कुमारी,
(४) भगवद्गीता भाषा, (५) उन्नड बावनी, (६)
ब्रह्मछत्तीसी, (७) ईश्वरस्तुति, (८) नीतिमर्यादा । रचनाकाल-१८६० के पूर्व। विवरण-कच्छ देशांतर्गत खाखरग्राम के ठाकुर थे । इनका
स्वर्गवास सं० १८९२ में हुआ था। नाम-(१८२३) आजम । ग्रंथ-(.) षट्ऋतु, (२) नखशिख। कविताकाल-१८६०।.. नाम-( १८२४ ) उदयचंद ओसवाल भंडारी। ग्रंथ-(१) रसनिवास, (२) रपशृंगार, (३) दूषणदर्पण)
(४) ब्रह्मप्रबोध, (५) ब्रह्मविलास, (६) भ्रमविहंडन । कविताकाल-१८६० । विवरण-आश्रयदाता महाराजा मानसिंह नाम -(१८२५) दासदलसिंह । ग्रंथ-दलसिंहानंदप्रकाश ।