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________________ परिवर्तन-प्रकरण १०६३ करने से इनकी रचना बहुत ही उस्कृष्ट और प्रशंसनीय है। हम इनको दास की श्रेणी का कवि मानते हैं । इनके रचे ये ग्रंथ हैं अष्टयाम १ से ६तक १ जिल्द) अष्टयाम ७ से ११ तक २., लीलासंग्रह अष्टयाम ३ .. १०८६ पृष्ठ ज्वालादिक मानलीला ४ ,, रसकलिकादल १ से २४ तक ४ जिल्द १७ पृष्ठ फलस्कैप साइज । कहीं-कहीं गद्य भी इन्होंने लिखा है । द्वि० ० रि० में इनका एक और ग्रंथ स्फुट पद-नामक मिला है। उदाहरण ग़ज़ल मटकी को आबरू की चट चौरहे में फोड़े ; क्या भाई-बंद गुरजन सब दुर्जनों को छोड़े। उल्फत जहाँ कि तिन-सी ललिताकिशोरी तोहै; चंचल छबीले जालिम जानाँ से नैन जोड़े। इस रस के पावे चसके जेहि लोकलाज खोई ; मैं बेंचती हूँ मन के माखन को लेवे कोई ॥१॥ चालिस है अध चंद थके। चंचल चारु चारि खंजन बर चितै परसपर रूप छके । दामिनि तीनि अनेक मधुपगन ललित भुजंगम संग जके; अष्टादस अरबिंद अचल अलि ललितकिशोरी भाजु टके ॥२॥ दोहा अंग-अंग सों अंबुकन झरि-झरि श्रीवत नीर । चंद स्रवन पीयूष के बरसत दामिनि बीर ॥ ३ ॥ नील बरन जल जमुन तिय चपल इतै उत जाहिं। धसीं अनेकन दामिनी सिंधु स्याम घन माहि ॥ ४ ॥
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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