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________________ परिवर्तन-प्रकरण १०५५ उदय और अस्त, स्वयंबोध उर्दू, अँगरेज़ी अक्षरों के सीखने का उपाय, बच्चों का इनाम, राजा भोज का सपना और वीरसिंह का वृत्तांत । इन ग्रंथों में से कई संग्रह-मात्र हैं, और अधिकतर राजा साहब के ही बनाए हैं । राजा साहब की भाषा वर्तमान भाषा से बहुत मिलती है, केवल वह साधारण बोल-चाल की ओर अधिक झुकती है, और उसमें कठिन संस्कृत अथवा फारसी के शब्द नहीं हैं । उसमें उर्दू-शब्दों का भी कुछ प्राधिक्य है । इन्होंने कुछ छंद भी बनाए हैं, पर विशेष. सया गद्य ही लिखा है । ये महाशय जैनधर्मावलंबी थे। (१८१७) गुलाबसिंहजी कविराव (गुलाब) इनका जन्म सं० १८८७ में बूंदी में हुआ । ये संस्कृत के बड़े विद्वान् तथा डिंगल, प्राकृत और भाषा के अच्छे ज्ञाता, बूंदी दरबार के राजकवि एवं कामदार थे । ये बूंदी के स्टेट कौंसिल और वाल्टर-कृत राजपुत्रहितकारिणी सभा के सभासद तथा रजिस्टरी के हाकिम थे। भाप भाषा की कविता सरस और मधुर करते थे । इनके रचित ये ग्रंथ हैं गुलाबकोष १ नामचंद्रिका २ नामसिंधुकोष ३ व्यंग्यार्थचंद्रिका ४ बृहद्व्यंग्यार्थचंद्रिका ५ भूषणचंद्रिका ६ ललितकौमुदी ७ नीतिसिंधु ८ नीतिमंजरी १ नीतिचंद्र १० काव्यनियम ११ वनिताभूषण १२ बृहद्वनिताभूषण १३ चिंतातंत्र १४ मूर्खशतक १५ कृष्णचरित्र १६ आदित्यहृदय १७ कृष्णलीला १८ रामलीला १६ सुलोचनालीला २० विभीषणलीला २१ नक्षणकौमुदी २२ कृष्णचरित्र में गोलोक-खंड, वृदावन-खंड, मथुरा-खंड, द्वारिका-खंड, विज्ञान-खंड और सूची २३ तथा ६ छोटे-छोटे अष्टक तथा पावस और प्रेमपचीसी इत्यादि । इनकी कविता सरस तथा मनोहर होतो थी । इनकी गणना पद्माकर की श्रेणी में की जाती है। संवत् १९५८ में इनका देहांत हुआ। . उदाहरण
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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