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________________ परिवर्तन - प्रकरण मुगल पठान सेख सैयद असेष धरि, श्रावत हजारन बजार कैसे चौधरी । पंडित प्रबीन कहै मानसिंह भूपति, कमान पै अरोपत यों तीखो तीर कैबरी ; सिंघ के ससेटे गज बाज के लपेटें लवा, तैसे भूलै भूतल चकत्तन की चौकरी ॥ १ ॥ यो रितुराज आजु देखत बनैरी श्राली, छायो महामोद सों प्रमोद बनभूमि-भूमि नाचत मयूर मन मुदित मयूरनि को, मधुर मनोज सुख चाखै मुख चूमि - चूमि । पंडित प्रवीन मधुलंपट मधुप पुंज, ; कुंजनि मैं मंजरी को चा रस घूमि - धूमि हेली पौन प्रेरित नबेली-सी द्रुमन बेली, फैली फूल दोलन मैं भूल रहीं भूमि-भूमि ॥ २ ॥ सानी शिवराज की न मानी महाराज भयो, १०३ ; दानी रुद्रदेव सो न सूरत सितारा लौं दाना मवलाना रूम साहिबी मैं बब्बर लौं, श्राकिल श्रकब्बर लौं बलख बुखारा लौं । पंडित प्रबीन खानखाना लौं नबाब, नवसेरवाँ लौं श्रादिल दराजदिल दारा लौं ; बिक्रम समान मानसिंह सम साँची कहौं, प्राची दिसि भूप है न पारावार धारा लौं ॥ ३ ॥ नाम - ( १८१५ ) अनीस । रचनाकाल - १६११ । 1 विवरण - इनके छंद दिग्विजयभूषण में हैं । कविता सरस और प्रशंसनीय है। इनकी गणना तोष कवि की श्रेणी में
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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