SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 104
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मिश्रबंधु-विनोद आजु छिति छत्रिन को भानु सो असत भयो, आजु पात पंछिन को पारिजात परिगो ; आजु भान सिंधु फूटो मंगन मरालन को, ___ श्राजु गुन गाढ़ को गरीस गंज गरिगो । प्राजु पंथ पुन्नि को पताका टूटो बिजैनाथ, श्राजु हौस हरख हजारन को हरिगो; .. हाय-हाय जग के अभाग तखतेस राज, आजु कलिकाल को कन्हैया कूच करिगो। नाम-( १७९८ ) बाबा रघुनाथदास महंत, अयोध्या । ब्राह्मण पाँड़े पैतेपुर, जिला बाराबंकी। ग्रंथ-हरिनामसुमिरनी। जन्मकाल-१८७३ । मरणकाल-१९३९ । कविताकाल-१६००। विवरण-ये महाराज बड़े तपस्वी, भगवद्भक्त, महात्मा हुए हैं। इनकी सिद्धता की बहुत-सी जनश्रुतियाँ विख्यात हैं । ये सरयूजी के निकट छावनी में रहा करते थे । इन्होंने भक्ति संबंधी काव्य किया है, जो साधारण श्रेणी का है। उदाहरणमारा-मारा कहे ते मुनीस ब्रह्मलीन भयो, राम-राम कहे ते न जानौं कौन पद्द है; जमन हराम कह्यो रामजु को धाम पायो, प्रगट प्रभाव सब पोथिन में गद्द है । कासिहू मरत उपदेसत महेस जाहि, सूझि न परत ताहि माया मोह मद्द है ; ऐसहू समुझि सीताराम नाम जो न भने, . जन रघुनाथ जानौ तासों फेरि हद है।
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy