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________________ ( ३३ चन्द्रगुप्त को देने पड़े । विजयी चन्द्रगुप्त उदार था। सेल्यूकस ने अपनी पुत्री चन्द्रगुप्त को ब्याह दी। दोनों में मैत्री हो गयी । श्रबं भारत की पश्चिमी सीमा हिन्दूकुश तक पहुँच गयी । चन्द्रगुप्त के साम्राज्य की सीमा पश्चिमोत्तर में हिन्दुकुश से दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी, और उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में मैसूर राज्य तक थी। इस प्रकार चन्द्रगुप्त मौर्य और चाणक्य के नेतृत्व में भारतवर्ष का सबसे पहला मगध में केन्द्रस्थ साम्राज्य संगठित हुआ । कौटिलीय अर्थशास्त्र पर चाणक्य तक्षशिला के पास का रहने वाला वैदिक ब्राह्मण था उसका कर्मक्षेत्र व्रात्य-भूमि मगध था । कूटनीति में वह प्रख्यात था। वह उद्देश्य को देखने वाला था - - साध्य-साधन के चक्कर से दूर । पर उसका स्वयं का जीवन साधु का जीवन था — त्याग, अपरिग्रह और संयम का प्रतीक । उसके सामने महान भारत का नक्शा था । इसीलिए वह राजनीति में श्राया। उसने चन्द्रगुप्त के साम्राज्य का निर्माण किया और उस साम्राज्य के लिये उसी ने व्यवस्था भी दी । उसने गर्व के साथ लिखा - " जिसने बड़े श्रमर्ष के साथ शास्त्र का, शस्त्र का और नन्द राजा के हाथ में गयी हुई पृथ्वी का उद्धार किया, उसी ने इस शास्त्र की रचना की ।" और भी "सत्र शास्त्रों का अनुगम करके और प्रयोग समझ कर कौटिल्य ने नरेन्द्र के लिये यह शासन की विधि ( व्यवस्था ) बनायी ।" इस विधि व्यवस्था का नाम है - "अर्थशास्त्र" । इसे कौटिलीय अर्थशास्त्र भी कहते हैं । शासन का रूप सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन काल में मगध साम्राज्य का केन्द्र सम्राट था । सम्राट के ही हाथ में सम्पूर्ण शक्ति केन्द्रित थी । पर शासन की सुविधा के लिये चाणक्य ने मगध साम्राज्य को सात अंगों में विभक्त
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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