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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा / 90
व्यक्ति के मन में उसके जन्म से ही उपस्थित है और जब वह पूर्ण तथा विकसित हो जाता है तो अभ्रांत रूप से व्यक्ति का मार्गदर्शन करती है और यह बताती है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है। प्रथमतः सिसरो के द्वारा और बाद में स्टोइक लेखकों के द्वारा स्पष्ट रूप से इस प्राकृतिक नियम के प्रत्यय का प्रचलन रोमन न्यायविदो
बीच हुआ और बाद में यह सभी राष्ट्रो के बीच पूर्व स्थापित उन सामान्य नियमों साथ मिश्रित हो गया, जिनको रोमन प्रज्ञा ने विदेशी लोगों के साथ व्यापार सम्बंध की आवश्यकताओं के लिए क्रमशः विकसित किया था। यह न्यायविदों की दृष्टि में रोमन निष्पक्षता (समदृष्टित्व) का एक सर्वमान्य स्रोत माना गया। अनेक शताब्दियों के बाद जब रोमन न्यायशास्त्र का अध्ययन मध्य युग के अंतिम भाग में पुनर्जीवीत हुआ, तब प्राकृतिक नियम के इस प्रत्यय को एक नया अर्थ एवं महत्व मिला और यह आधुनिक नैतिक चिंतन की प्रथम अवस्था का एक प्रमुख एवं महत्वपूर्ण प्रत्यय बन गया, जिस पर हमने बाद में विचार किया है।
रोमन स्टोइकवाद
ग्रीक चिंतन की सभी विधाओं में स्टोइकवाद ही ऐसी चिंतन प्रणाली है, जिसकी रोम की नैतिक चेतना के साथ सबसे अधिक वास्तविक घनिष्ठता ( समानता) है। हमें इस दार्शनिक सम्प्रदाय में ग्रीस से प्राप्त सिद्धांतों के प्रति रोमन चेतना का एक स्पष्ट प्रतिरोध परिलक्षित होता है, जिसके परिणामों को स्टोइक चिंतन के स्वाभाविक आंतरिक विकास से सूक्ष्मता के साथ अलग करना कठिन है। यह स्वाभाविक भी था कि प्रारम्भिक स्टोइकों ने आदर्श प्रज्ञा एवं सद्गुण के आंतरिक तथा बाह्य लक्षणों का विवरण प्रस्तुत करने में अधिक रुचि ली और एक आदर्श मनीषी और सच्चे दार्शनिक के बीच के अंतर को अस्वीकार तो नहीं किया किंतु किसी रूप में उसकी अपेक्षा तो अवश्य की, किंतु जब मनुष्य का शुभ क्या है? इस प्रश्न का उत्तर स्पष्ट विवेचन के माध्यम से पूर्ण प्रज्ञा के द्वारा दिया गया, तो दूसरा प्रश्न अर्थात् मनुष्य संसार के दुःख और कष्टों से किस प्रकार मुक्त हो सकता है और प्रज्ञा की दिशा में कैसे आगे बढ़ सकता है, इसने स्वाभाविक रूप से जनता का ध्यान आकर्षित किया। तब वैज्ञानिक अभिरुचियों पर नैतिकता प्रबल हुई, जो कि रोमन मनस की एक विशिष्टता थी और तभी यह प्रश्न अधिक प्रमुख बन पाया। यह प्रमुखता हमें उन साम्राज्यवादी लेखनों में मिलती है, जो कि स्टोइक दर्शन के अध्ययन के अपरोक्ष साधन हैं।