SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 289
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/287 बात नीतिशास्त्र पर लागू होती है। उंट के अनुसार, नीतिशास्त्र की यह विषय-वस्तु सामाजिक मनोविज्ञान और मानव-सभ्यता के इतिहास से प्राप्त होती है। वैज्ञानिकचिंतन इस सामग्री का विश्लेषण करता है और इसे सामान्य दृष्टिकोणों के अंतर्गत वर्गीकृत करता है। एक वैज्ञानिक-नीतिशास्त्र की विशिष्ट समस्याएं ये हैं - (1) उपलब्ध तथ्यों के आधार पर उस सिद्धांत का विकास करना, जिस पर नैतिक-मूल्यों के सभी निर्णय आधारित हैं और यह देखना कि ये कैसे उत्पन्न होते हैं, साथ ही, उनके पारस्परिक-सम्बंधों को निर्धारित करना है। (2) नैतिक-जीवन के मुख्य क्षेत्रों अर्थात् परिवार, शासन, राज्य आदि में इन सिद्धांतों के लागू करने के सम्बंध में विचार करना। इस प्रकार का सर्वेक्षण चिंतनपरक-नीतिशास्त्र और भावनापरक-नीतिशास्त्र के उस विरोध का अतिक्रमण करेगा, जिसने उंट के अनुसार भूतकालीन नैतिकविज्ञान से ग्रसित कर रखाथा। यह नृतृत्वशास्त्रीय, ऐतिहासिक, वैधिक और आर्थिकतथ्यों पर भी अपेक्षित विचार करने के हेतु क्षेत्र प्रदान करेगा। यह अंतर्दशन के द्वारा प्रस्तुत ऐच्छिक-कार्यों की आंतरिक-स्थितियों पर बल देकर नैतिकता के आत्मनिष्ठ पक्ष तथा सामाजिक तथा ऐतिहासिक-तथ्यों से नीतिशास्त्र के सम्बंधों के द्वारा नैतिकता के वस्तुनिष्ठ-पक्ष में समन्वय करता है। शुभ एक आध्यात्मिक-उपलब्धि है, जो यद्यपि स्वयं सुख नहीं है, फिर भी अपने साथ सुख को लाती है। इस आध्यात्मिक-उपलब्धि को सामाजिक-जीवन से अलग मात्र वैयक्तिक-जीवन के द्वारा पूरी तरह से समझा नहीं जा सकता है। इसे केवल मानव-जाति के सामाजिक-जीवन के उत्पन्न एक तथ्य के रूप में ही समझा जा सकता है। यह मानव-जाति के सामाजिक-जीवन से ही उत्पन्न होती है और उसी से ही सम्बंधित है। आदर्श एक ऐसा तथ्य नहीं है, जो एक ही बार में सदा के लिए प्रदान कर दिया गया है, अपितु प्रत्येक जाति और प्रत्येक पीढ़ी उस आदर्श को अपने स्वयं के मार्ग से आगे बढ़ाती है। जीवन एक सृजनात्मक-समन्वय को अभिव्यक्त करता है। उंट का कथन है कि यह सृजनात्मक-समन्वय आंशिक रूप से साध्यों के समन्वय (पंचमेल) के द्वारा होता है। विभिन्न साध्यों का यह एकीकरण साध्यों से होने वाली उपलब्धि की अपेक्षा ऐसी उपलब्धि के लिए होता है, जिसका मूल्य उन वैयक्तिक-साध्यों की उपलब्धि से महान् हो। नैतिक-जीवन या नैतिक-शुभों की घटनाओं में एक वर्द्धमान् बहुविधता है। उंट यह मानता है कि मानव-जाति का एक बहुत बड़ा भाग जिन साध्यों के लिए कार्य करता है और कष्ट उठाता है, उन दूरस्थ
SR No.032622
Book TitleNitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHenri Sizvik
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2017
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy