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________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/ 19 नियमों से तादात्म्य किया जा सकता है वह विधिशास्त्र से भी सम्बंधित है। अंत में नैतिक विवेचना की प्रत्येक शाखा आंशिक रूप में मनोविज्ञान का एक अंग भी होती है। नैतिक विवेकशक्ति के मूल स्रोत एवं संकल्प की स्वतंत्रता सम्बंधी सारी खोजबीन मनोवैज्ञानिक ही है, किंतु जब मनोविज्ञान को अनुभवाश्रित प्रयोगमूलक विज्ञान मानकर तत्त्वमीमांसा से अलग कर दिया जाता है तो संकल्प की स्वतंत्रता सम्बंधी विवेचना को तत्त्वमीमांसा के अंतर्गत रखना होगा। अब हम प्रारम्भिक युग से लेकर अब तक के यूरोपीय नैतिक चिंतन का संक्षिप्त विवेचन प्रस्तुत करेंगे। यद्यपि आधुनिक युग के अंतिम भाग की विवेचना में हमने अपने को इंग्लैण्ड में विकसित एवं उसके चिंतन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाली विचारधाराओं तक ही सीमित रखा है। सामान्यतया मारल' शब्द इथिकल का पर्यायवाची माना जाता है। हमने भी अगले पृष्ठों में इन दोनों का प्रयोग इन्हें पर्यायवाची मानकर ही किया है। संदर्भ1. वस्तुतः इस कथन को स्पष्टीकरण के हेतु स्टोहकवाद पर लागू किए गए उन कुछ विशिष्टताओं की अपेक्षा हैं जिनके द्वारा, जैसा कि प्रतीत होता है, आंशिक रूप से प्राचीन विचार पद्धति का आधुनिक विचार पद्धति में संक्रमण हुआ। देखिए- अध्याय 2, पृ. 15 एवं 19 तथा अध्याय 5, पृ. 11 ।
SR No.032622
Book TitleNitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHenri Sizvik
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2017
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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