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________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/138 अपनी समाप्ति तक घृणा का ही विषय है। थामस एक्वीनास के दुर्गुणों या पापों के वर्गीकरण में ईसाई दृष्टिकोण ही प्रमुख है, तथापि उसके ग्रंथों में अरस्तू के अति और कमी के दर्गणों का वर्गीकरण भी पाया जाता है। इसके साथ ही साथ उसके ग्रंथों में ईश्वर के प्रति किए जाने वाले पाप, समाज (पड़ोसियों) के प्रति किए जाने वाले पाप और स्वयं के प्रति किए जाने वाले पापों का आधुनिक वर्गीकरण, महापाप और अल्प (क्षम्य) पाप का वर्गीकरण, क्रिया सम्बंधी पाप और निष्क्रियता सम्बंधी पापों का वर्गीकरण तथा मानसिक, वाचिक और कायिक पापों का वर्गीकरण भी उपलब्ध होता है। ___पाप की वैधानिक दृष्टि से विवेचना करने के उपरांत थामस एक्वीनास स्वाभाविक रूप से नियम की विवेचना करते हैं। इसका विवेचन भी बहुत कुछ रूप में नैतिक सद्गुण की विवेचना से मिलता जुलता है, किंतु एक नए ढंग से प्रस्तुत किया गया है। थामस के लेखों में इसकी प्रधानता उस रोमन न्यायशास्त्र के अध्ययन के बढ़ते हुए प्रभाव के कारण है, जिसने इटली में 12 वीं शताब्दी में त्वरित गति से प्रगति की थी। थामस के चिंतन का यह पक्ष अधिक ऐतिहासिक महत्व का है। धार्मिक प्रत्ययों का परवर्ती रोमन कानून के अमूर्त सिद्धांतों से यह संयोग ही वर्तमान युग के स्वतंत्र नैतिक चिंतन का प्रारम्भिक बिंदु बना। कानून के सामान्य विचार की परिभाषा निम्न प्रकार दी जा सकती है कानून सामान्य शुभ के लिए ऐसे व्यक्ति के द्वारा प्रवर्तित बुद्धि का आदेश है, जो कि सामाजिक दायित्वयुक्त है, थामस एक्वीनास ने कानून के सामान्य विचार का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया है - (1) शाश्वत नियम या ईश्वरीय नियामक बुद्धि, जो ईश्वरीय सृष्टि के बौद्धिक एवं अबौद्धिक सभी प्राणियों का नियमन करती है। (2) प्राकृतिक नियम, जो कि शाश्वत नियम का ही एक अंग होने से बौद्धिक प्राणियों पर भी लागू होते है। (3) मानवीय नियम, जो कि वस्तुतः उसी प्राकृतिक नियम से ही निर्मित होते हैं, जिसे वास्तविक समाज की परिवर्तित परिस्थितियों के लिए स्वीकार किया जाता है या जिसका विशेषीकरण किया जाता है। (4) ईश्वरीय नियम वस्तुतः जिनका प्रकाशन मनुष्य के लिए हुआ है। प्राकृतिक नियम के सम्बंध में उनका कहना है कि ईश्वर ने मानवीय मस्तिष्क में अपरिवर्तनशील सामान्य सिद्धांतों के ज्ञान का दृढ़तापूर्वक बीजारोपण कर किया है और न केवल ज्ञान का वरन् एक 'विन्यास' का भी, जिसके लिए थामस एक्वीनास एक विशेष पाण्डित्यवादी पद सिन्डेरेसिस' का उपयोग करता है। जो कि निर्धान्त रूप से
SR No.032622
Book TitleNitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHenri Sizvik
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2017
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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