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________________ है । भक्त को समझने के लिए भक्त बनना पड़ता है । ज्ञानी को समझने के लिए ज्ञानी बनना पड़ता है । भक्त की ऊंचाई पर पहुंचने के पश्चात् ही भक्ति की बात समझ में आती है । भक्त के हृदय में भगवान आते हैं, यह बात आपकी समझ में नहीं आयेगी । केवल बकवास लगेगा, परन्तु भक्त के लिए यह सीधी-सादी बात है । चित्त दर्पण के समान निर्मल बनने पर भगवान चित्त में प्रतिबिम्बित होंगे ही। इसमें आश्चर्य ही क्या है ? अभक्त हृदय को यह बात समझ में नहीं आती । इस पुस्तक को पढ़ने से जीवन में निम्नलिखित लाभ हुए : विशिष्ट प्रकार से भगवद् भक्ति करने के लिए मन लालायित हुआ । क्रिया सूत्र, अर्थ एवं तदुभय से भावित रीति से होने लगी । - - - सम्बन्ध देखे बिना परोपकार करने की इच्छा हुई । साध्वी भद्रंकराश्री यह पुस्तक पढ़ने से अनेक लाभ हुए हैं । प्रभु के प्रति भक्ति, संयम के प्रति श्रद्धा और ज्ञान के प्रति रूचि में वृद्धि हुई है । साध्वी प्रियदर्शनाश्री H यह पुस्तक तो अमृत का प्याला है । जो पुण्यात्मा इसका पान करेंगे, वे सचमुच अमर हो जायेंगे । साध्वी संवेगपूर्णा श्री कहे कलापूर्णसूरि ३ 100 ५९
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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