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________________ रखी है । यदि रेलगाडी की पटरी में थोडा अन्तर पड जाये तो क्या रेलगाडी चल सकेगी ? ऐसे कटोकटी के समय में वाचना रखी है तो आप वाचना ग्रहण करें । यदि जीवन में विनय आ गया तो आप दूसरी चन्दनबाला बनेंगी । * विनीत शिष्य सम्पूर्ण जिन-शासन की शोभा है, चाहे वह विद्वान न हो । रसाल (उपजाऊ) भूमि में किसान बोने का अवसर नहीं चूकता, उस प्रकार विनीत को गुरु ज्ञान देना नहीं चूकते । * भिखारी दाना-दाना चुनकर एकत्रित करता है, उस प्रकार मैंने सबके पास जा-जा कर ज्ञान एकत्रित किया है । जहां-जहां से ज्ञान मिला, वहां वहां से मैं लेता गया । * यहां उल्लेख है कि विनयहीन पुत्र हो तो भी उसे वाचना नहीं दी जा सकती, चाहे वह दूसरे सैंकडों गुणों से युक्त क्यों न हो ? (गाथा ५१) * शास्त्रकार गुरु को टोकते हुए कहते हैं कि ऐसे आप चाहे जिसे दीक्षित न करें । पूर्ण परीक्षा करके ही आगे बढ़ें । अयोग्य व्यक्ति को दीक्षा प्रदान करने में बहुत जोखिम है। भले ही शिष्य कम हो तो चला लें, किन्तु अयोग्य शिष्य को दीक्षा प्रदान करने की चेष्टा न करें । * विनय गुण की सिद्धि शिष्य में हो जानी चाहिये । कल्पतरुविजयजी को रात्रि में मात्रु करने के लिए उठाऊं; एक घण्टे के बाद पुनः उठाऊं तो भी वे कदापि मन में नहीं लाते कि मुझे बार बार क्यों उठाते हैं ? यह विनय-गुण की सिद्धि है । लोगस्स के तीन पदों मे नवधा भक्ति कित्तिय वंदिय महिया १. श्रवण ४. वन्दन ७. दास्य २. कीर्तन ५. अर्चन ८. सख्य ३. स्मरण ६. पादसेवन ९. आत्म-निवेदन कर कहे कलापूर्णसूरि - २666666600 0 0 ६९)
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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